नवोदय के प्यारे और फनी शिक्षक
नवोदय के शिक्षक, अद्भुत और महान,
कुछ सख्त थे, तो कुछ बेहद मेहरबान।
पढ़ाई का ज्ञान, और जीवन का पाठ,
पर कुछ ने दिए हंसी के खास सौगात।
एक सर थे, जो गुस्से में फिसल जाते थे,
और अपनी बातों से खुद ही हंस जाते थे।
चश्मा ढूंढते-ढूंढते सर पर रख लेते,
फिर खुद को ही डांटने लग जाते थे।
मैडम जो इंग्लिश पढ़ाने में माहिर थीं,
पर "वाटर" को "वाटरवा" कहकर बाहरी थीं।
उनका हाव-भाव, उनकी मस्ती की बातें,
क्लास में सबके चेहरे पर हंसी सजाते।
एक सर थे जो "पीटी" में कड़क लगते,
पर खुद दौड़ते वक्त अक्सर गिर पड़ते।
हंसी के ठहाके लगते उनके साथ,
खेल के साथ देते हंसी की सौगात।
मैडम का गुस्सा, और उनका "टेम्पर",
पर हंसकर भूल जाते जब बोलतीं "प्रॉपर-प्रॉपर"।
"साइलेंस प्लीज!" का उनका अनोखा अंदाज,
हंसी रोकना वहां था सबसे बड़ा राज।
शिक्षकों का प्यार, और उनका वो दुलार,
पर उनकी हरकतें करतीं सबका दिल खुशहाल।
नवोदय के टीचर, हर पल के साथी,
पढ़ाई के संग हंसी की जो लाए बाराती।
आज भी याद आती हैं उनकी बातें,
उनके बिना अधूरी लगती वो रातें।
पढ़ाई के संग जो हंसी का उपहार दिया,
नवोदय के शिक्षकों, नमन है तुम्हें दिया!
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