*तो नवोदयन हो तुम*
खाने की लाइन में खड़े होकर
थाली घुमाते हो..
नवोदयन होतो तुम,
5 मिनट पहले उठ कर भी
असेम्बली में नहाकर पहुँच जाते हो..
तो नवोदयन हो तुम
मेस से रोटी सब्जी अचार मिर्ची
चुरा के खाते हो...
तो नवोदयन हो तुम
रात को बाउंडरी वाल फांद जाते हो
चुपके से ढाबा जाते हो...
तो नवोदयन हो तुम
गंदे जूते पे चाक या बबूल पेस्ट लगाकर
चमकाते हो ...
तो नवोदयन हो तुम
पीटी टीचर के डर से लाइन में खड़े होकर ही
दांतों से नाखून कुतर जाते हो ...
तो नवोदयन हो तुम
सुबह पीटी में पहुँचने के लिए
स्पोर्ट्स यूनिफार्म पहन के सो जाते हो...
तो नवोदयन हो तुम
बैन होने पर भी म्यूजिक प्लेयर रख कर
चुपके से दोस्तों को सुनाते हो...
तो नवोदयन हो तुम
1 बाल्टी पानी के लिए भी
बाथरूम में महाभारत मचाते हो...
तो नवोदयन हो तुम
अरावली शिवालिक नीलगिरी उदयगिरि
कहलाते हो...
तो नवोदयन हो तुम
रात को गर्ल्स हॉस्टल के सामने
जाने की शर्त लगाते हो...
तो नवोदयन हो तुम
दोस्त की गलती पर जुबान न खोलकर
उसके संग मार खाते हो...
तो नवोदयन हो तुम
जात पांत धर्म का भेद नहीं समझते
एक थाली में खाना खाते हो...
तो नवोदयन हो तुम
तमाम बदमाशियां करके भी
शरीफ कहलाते हो...
तो नवोदयन हो तुम
दोस्त के पेरेंट्स को मम्मी पापा बुलाते हो...
तो नवोदयन हो तुम
खेलकूद,पढ़ाई, नाचगाना सब में झंडे लहराते हो...
तो नवोदयन हो तुम
बड़ी से बड़ी नौकरी पाकर भी
जड़ो से जुड़े रहते हो...
तो नवोदयन हो तुम
तुम्हारा हो या दूसरे नवोदय का ,
पता चलते ही खुशी से गले लगाते हो...
तो नवोदयन हो तुम
सबसे आखिरी बेंच में बैठ कर
अपने टीचर की ड्रॉइंग बनाते हो...
तो नवोदयन हो तुम
तमाम बदमाशियां करके भी
पढ़ाई में अव्वल आते हो...
तो नवोदयन हो तुम
1 महीने का स्नैक्स जो पेरेंट्स छोड़ कर जाते है
दोस्तों के संग उसी शाम चट कर जाते हो...
तो नवोदयन हो तुम
जूनियर्स को टीचर्स के उलट पुल्टे नाम सिखाते हो...
तो नवोदयन हो तुम
कही भी एडजस्ट हो जाते हो
हर जगह मौज मनाते हो...
तो नवोदयन हो तुम
6वीं में रोते हुए घर से आते हो..
12वीं में रोते हुए घर जाते हो..
तो नवोदयन हो तुम
इन पंक्तियों को पढ़ कर यादों में खो रहे हो...
कभी खुश, कभी गमगीन हो रहे हो...
*तो नवोदयन हो तुम।*
No comments:
Post a Comment