Tuesday, February 8, 2022

मेरे सपने मेरा नवोदय

 कई बार अब भी पहुँच जाता हूँ ,


उस प्रांगन में - सपनों में ही सही ,

शायद कुछ छूट गया है मेरा वहाँ ,

उसी को बटोरने पहुँच जाता हूँ।

हौले से उन दीवारों को छूता हूँ ,

धीरे से हॉस्टल के कमरे की किड़ाव खोलता हूँ ,

एक चक्कर उस खेल के मैदान का मार आता हूँ ,

उस बेंच पर अपने खुरचे शब्द ढूँढ़ता हूँ।


उस कोने में पहुँचता हूँ, जहाँ गिराये थे मैंने कभी आँसू

मेस में पहुँचकर चम्मचों की आवाज सुनता हूँ ,

न जाने किस कोने में बसी पड़ी है अभी भी ये यादें ,

मैं अक्सर सपनों में अब भी अपने स्कूल जाता हूँ।

कॉपी पेस्ट 

आनन्द मेहरा

1989-1996 बैच

जवाहर नवोदय विद्यालय , ताड़ीखेत ( अल्मोड़ा ) - उत्तराखंड की फेसबुक वॉल से।



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