Sunday, December 26, 2021

नवोदय की याद तो आती होगी -मेरा सुनहरा पिंजरा

 जिंदगी के गुजारे जहां इतने बरस उस नवोदय की याद तो आती होगी ।

फिर से वहां लौटने के लिए दिल से आवाज तो आती होगी।

उन दोस्तों से मिलने का कभी मन तो करता होगा फिर से संग बैठने का मन तो करता होगा।

वह बनाए हुए रिश्ते जो मन में है उनसे मिलने का मन तो करता होगा।

जिंदगी के गुजारे जहां इतने बरस उस नवोदय की याद तो आती होगी।

वह गुरुओं के आशीर्वाद और हमेशा ख्याल रखना हमारा अपने बच्चों की तरह उस नवोदय की याद तो आती होगी।

 जिंदगी के गुजारे जहां इतने बरस उस नवोदय की याद तो आती होगी।


वह मेंस के अंकल आंटी कपड़े धोने प्रेस करने वाले अंकल आंटी उनसे मिलने का मन तो करता होगा जिंदगी के गुजारे जहां इतने बरस उस नवोदय की याद तो आती होगी।

खाना वह जैसा भी था लेकिन यारों के साथ खाने में मजा तो आता ही था उस खाने की याद तो आती होगी जिंदगी के गुजारे इतने बरस उस नवोदय की याद तो आती होगी।

वह शरारती शैतानियां करना वह डांट खाना वह पीटी में लेट जाना, कुछ याद तो आता होगा। भूल जाना याद आना कुछ तो होता होगा जिंदगी के गुजारे जहां इतने बरस उस नवोदय की याद तो आती होगी।

कभी बचपन में लगता था तोड़ डालें इस सुनहरे पिंजरे को भाग जाएं भंवरी संसार में।

लेकिन जब भी मेरा टूट गया तो याद आता है वह सुनहरा पिंजरा आजादी नहीं चाहता था मैं अब नवोदय बहुत याद आता है।

उस पिंजरे की याद आती होगी जिंदगी के गुजारे इतने बरसों से नवोदय की याद तो आती होगी।


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